DEO SURYA MANDIR - Full History of Deo Surya Mandir
Deo Surya Mandir
Deo Surya Mandir

                                  

आज इस  सूर्य  मंदिर  को  1,49,110 वर्ष हो  गए  . ये ऐतिहासिक सूर्य  मंदिर  53 पोरसा  ऊपर  की  ओर  बना  हुआ  है . जिसके  सबसे  उपरी  सिरे  पे  24 कैरेट का   सोना  का  कलश  है  जो  की  और भी  मनोरम  बनता  है  हमारे  देव   सूर्य  मंदिर  को .ये  सूर्य  मंदिर  विश्व प्रसिद्ध है , छठ पूजा  हेतु . लाक्खो लाख  की  संख्या में  यहाँ  सर्धालू  आते  है  और  पूजा  करते  है .आज  तक  यहाँ  से  कोई  याचक  खाली हाथ  नहीं  लौटा  है .
देव सूर्य मंदिर पुरे विश्व में एक  मात्र ऐसा मंदिर है जिसकी मुख्य दरवाजा पशिचम की ओर है !

जैसा की आप जानते है की आज  लगभग  100000 बरस  पूर्व यहाँ के मंदिर में 2 -3  चोर  यहाँ  के  उपर  का  सोने का कलस  चुराने आये थे । लेकिन सूर्य देव  की किर्पा  से  सफल नही हो सके और 2 चोर  उसी  में सट  गए गये और  चोर  भागने  में सफल हो गया  क्योंकि वह चोर ऊप्पर  न रहकर निचे  ही था और वह भाग गया । 

 ऐसा माना  जाता है की जब पुरे औरंगाबाद में  पूरा का पूरा जंगल था । तब एक राजा एल नामक उस जंगल में शिकार  खेलने गया। जिसका पूरा का पूरा सरीर में कुष्ठ रोग हुआ था ।और वह जब वह खेलते -खेलते थक गया तब उस राजा को प्याश  लगा और वह अपने सैनिक को आज्ञा दिया की जाओ और मेरे लिए पानी लेकर आओ सैनिको ने पूरा जंगल घुमा लेकिन उनलोगो को कहि भी पानी नही मिला। और वे पुनः वापस आ गये और राजा से कहा  महराज  पानी तो कहीं भी नही मिला तब राजा के पास  ही एक गड्ढा दिखाई दिया और राजा स्वयं जाकर जैसे ही गड्ढा का पानी छुआ तैसे ही उसके हाथ का कुष्ठ रोग समाप्त हो गया।  तब वह उसी गड्ढा में स्नान किया और उसका पूरा का पूरा कुष्ठ रोग समाप्त हो गया तब राजा ने एक रात वहीं  बिताने का  सोचा  और वही सो गया तभी रात के सपने में उसे  सूर्य देव ने कहा की मेरा तीन मूर्ति उसी गड्ढा में है जहा तुम्हे कुस्ट रोग से मुक्ति मिली थी उसे निकाल कर बाहर रख दो तभी एक जोर से आवाज आई और राजा का नींद खुल गया  और वह उस तीनो मूर्ति का स्थापना किया और और मंदिर का निर्मान करवाया । और  साथ में उस गड्डे को  एक तलाब का आकार दिया । 

एक कहानी और है । की जब सिकंदर ने सभी मंदिर मस्ज़िद को तोड़ने का निर्णय लिया और तोड़ते तोड़ते यहा पहुंचा तब सूर्य मंदिर की बारी  थी और वहा पहुंचा तब वहा के पंडित लोगो ने इनकार कर रहे थे तब सिकंदर ने पंडित लोग से कहा की अगर इस मंदिर में भगवान है । तो इससे कहना की पूरब के दरवाजा के जगह पर कल से पश्चिम के दरवाजा हो जाये और सभी लोग चिंतित हो गए और रात बिता और सूबह में पश्चिम का दरवाजा हो गया जो अबतक है । 

एक बात सोचने वाली है । की यहाँ सूर्य देव के मूर्ति के जगह पर तीन मूर्ति ब्रम्हा बिस्णु तथा महेश जी का है । जानते है । क्यों क्योकि सूर्य देव यही तीनो देव है जो सुबह के समय होता है । वह ब्रम्हा देव होते है । दोपहर में बिस्णु  के समय में तथा साम  में महेश के रूप में होते है । 

एक बात और की यहा कोई याचक नि स्वार्थ भाव से  अगर लगातार आरती में कुछ दिन  जाता तो वह माया ,दुःख क्लेश इत्यादी से छुटकारा पा जाता है । इसे बाद में और कुछ पाने की इच्छा ही नही होती है । जब कोई याचक साम के समय में आरती से  कुछ समय पहले जाता है । और अगर 10  -20 मिनट भी अपने आप को उस मंदिर के अंदर बैठता है । तो वह पुरे  दुनिया के दुःख भूल जाता है । और अलग दुनिया में जाने  की बात सोचता है । 


              ॐ सूर्याय नमः                              ॐ सूर्याय नमः                                     ॐ सूर्याय नमः
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